मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

अनुशासन का महत्व




जब हम पैदा होते हैं, तो उसके बाद हमें अलग – अलग लोगों द्वारा अच्छी आदतें सिखाई जाती है, ये अच्छी आदतें हमें इसलिए सिखाई जाती है, ताकि हम एक अच्छे इन्सान बन सकें. ये आदतें हमें हमारे बड़ों यानि हमारे माता – पिता एवं शिक्षकों द्वारा प्रदान की जाती है, जोकि हमारे जीवन को आसान बना देती है. उन सभी अच्छी आदतों में सबसे अच्छी आदत है, अनुशासन का पालन करना. वे हमें बचपन से ही अनुशासन जैसी अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं. इस लेख में हम आपको अनुशासन का हमारे जीवन में महत्व एवं उससे होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इसलिए हमारे लेख को अंत तक पढ़ें.   

अनुशासन क्या है? (What is Discipline Meaning)

कोई व्यक्ति हो या संस्था हो या राष्ट्र हो, जब वे अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करते हैं, तो उसे अनुशासन कहा जाता है. अतः दूसरे शब्दों में कहें तो अनुशासन एक ऐसी आदत है, जोकि मनुष्य जीवन में बहुत मायने रखती है. अनुशासन को यदि अलग – अलग किया जाये, तो अनु और शासन दो शब्द मिलते हैं, जिसका अर्थ होता है खुद के ऊपर शासन करना. यानि यदि आप नियमित रूप से नियमों का पालन करते हैं, तो इससे आपका दिमाग एवं शरीर दोनों नियंत्रित रहते हैं. रोजमर्रा की जिन्दगी में आप सुबह से उठकर रात तक जो भी कार्य करते हैं, वह आपका रोज का नियम होता है और जब आप उन नियमों का पालन करते हैं, तो इसे अनुशासन कहा जाता है.

अनुशासन के प्रकार (Types of Discipline)

अनुशासन के विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार बताएं गए है. यहाँ हम कुछ प्रकार के अनुशासन के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि इस प्रकार है–

सकारात्मक अनुशासन :- सकारात्मक अनुशासन वह है, जो व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करता है. यह व्यक्ति में एक तरह का सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है, कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि उसके व्यवहार अच्छे या बुरे होते हैं. किसी बच्चे के माता – पिता उन्हें समस्या सुलझाने के कौशल सिखाते हैं और साथ ही उन्हें विकसित करने के लिए उनके साथ काम करते हैं. माता – पिता अपने बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए शिक्षण संस्थाओं में भेजते हैं. यह सभी पहलू सकारात्मक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं. और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिये.
नकारात्मक अनुशासन :- नकारात्मक अनुशासन वह अनुशासन है जिसमें यह देखा जाता है, कि कोई व्यक्ति क्या गलत कर रहा है, जिससे उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. किसी व्यक्ति को आदेश देना एवं उन्हें नियमों और कानूनों को पालन करने के लिए मजबूर करना नकारात्मक अनुशासन होता है.

सीमा आधारित अनुशासन :- सीमा आधारित अनुशासन सीमाएं निर्धारित करने और नियमों को स्पष्ट करने के लिए होता है. इस अनुशासन के पीछे एक सरल सिद्धांत है, कि जब एक बच्चे को यह पता होता है, कि यदि वे सीमा से बाहर जाते हैं, तो इसका परिणाम क्या होता है, तो ऐसे बच्चे आज्ञाकारी होते हैं. उनका व्यवहार सकारात्मक होता हैं और वे खुद को हमेशा सुरक्षित महसूस करते हैं.

व्यवहार आधारित अनुशासन :- व्यवहार में संशोधन करने से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिणाम होते हैं. अच्छा व्यवहार प्रशंसा या पुरस्कार के साथ आता है, जबकि दुर्व्यवहारों के कारण नकारात्मक परिणामों को हवा मिलती है, इसलिए इससे काफी नुकसान भी होता है.

आत्म अनुशासन :- आत्म अनुशासन का अर्थ है, अपने मन और आत्मा को अनुशासित करना जो बदले में हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं. इसके लिए हमें अपने आप को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करना होगा. यदि हमारा दिमाग अनुशासित रहेगा, तो हमारा शरीर अपने आप ही अच्छे से कार्य करेगा.

अनुशासन के लाभ (Benefits of Discipline)

अनुशासित होना जीवन में कई फायदे और लाभ प्राप्त करने का एक तरीका है. इससे होने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं –

केन्द्रित रहने में सहायक :- अनुशासित होने से व्यक्ति को अपने काम, गतिविधियों या लक्ष्यों के प्रति केन्द्रित रहने में मदद मिलती है. वे व्यक्ति जिनका लक्ष्य मजबूत होता है, वे अधिक केन्द्रित होते हैं, और रोजमर्रा की जिन्दगी में समय पर काम करने के लिए तैयार रहते हैं. अनुशासन के साथ किसी भी व्यक्ति को अपने मन को अपने काम या लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित रखने में सहायता मिलती है, जिससे मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है.

दूसरों से सम्मान मिलता है :- अनुशासन दूसरों से सम्मान प्राप्त करने में मदद करता है. बहुत से लोग अपने कार्य करने वाली जगह में दूसरों से सम्मान पाने के लिए संघर्ष करते हैं. लेकिन सम्मान पाने का सबसे आसान तरीका अनुशासित होना है. आसपास के लोग अनुशासित व्यक्ति का सम्मान करते हैं. यदि आप अनुशासित रहते हैं, तो इससे दूसरे अन्य व्यक्तियों की नजर में आप सम्मान के पात्र हो जाते हैं, और वे आपको अपना रोल मॉडल भी मान सकते हैं.

स्वस्थ रखता है :- अनुशासित जीवन में कुछ आदतें हैं, जो नियमित होती है. जैसे भोजन, दवा, नहाना, व्यायाम करना, सही समय पर चलना और सोना आदि. व्यायाम और अन्य नियमित आदतें शरीर और दिमाग को इतनी अच्छी तरह से ट्यून करती है, जिससे व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है. यहाँ तक कि पुरानी बीमारी के लिए नियमित समय पर दवाएं लेने से भी जल्द ठीक होने में मदद मिलती है. समय पर भोजन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि भोजन भी एक तरह की दवा होती है.

सक्रीय रहने में मददगार :- अनुशासन जीवन के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का एक तरीका है. जोकि अंदर से उत्साह और आत्मविश्वास को जगाता है. इसलिए यदि आप हमेशा सक्रिय रहते हैं तो इससे आलस आपसे कोषों दूर रहता है. आप हमेशा उन लोगों की आदतों को अपनायें जो अनुशासित होते हैं, क्योंकि वे दूसरों की तुलना में भोजन, नींद और नियमित व्यायाम जैसी अनुशासित आदतों के कारण सक्रीय रहते हैं. इससे आपको सक्रीय रहने में मदद मिलेगी.

आत्म नियंत्रण :- जो व्यक्ति खुद अनुशासन में रहते हैं उनका स्वयं पर अधिक नियंत्रण होता है. वह बात करते समय अपने व्यवहार में सावधानी बरतते है. उनका व्यवहार आदि खुद को मूर्खतापूर्ण समस्याओं में फंसने से बचाता है. इससे वह लोगों के साथ अच्छे संबंध भी बनाता है.
चीजों को प्राप्त करने और खुश रहने में मदद करता है :- अनुशासित होने से चीजों को तेजी से और सही समय पर पूरा करने में मदद मिलती है. हालाँकि कुछ चीजें अन्य कारणों से देर से होती है. किन्तु फिर भी अनुशासित रहने वाला व्यक्ति अपने खुद के अनुशासन के कारण दूसरों की तुलना में तेजी से काम करता है. इससे उसके मन को शांति मिलती है और वह व्यक्ति खुश रहता है.

एक दिन में अधिक समय देता है :- एक अनुशासित व्यक्ति के पास एक अनुशासनहीन व्यक्ति की तुलना में एक दिन में अधिक समय होता है. तो अधिक समय का मतलब यह है कि उनके पास अतिरिक्त कार्यों या अन्य पेंडिंग कार्यों को करने की अधिक सम्भावना होती है, और वे अपने कार्यों को बखूबी कर भी लेते हैं.

तनाव मुक्त रहने में मदद करता है :- किसी को प्रतियोगी परीक्षा या दैनिक दिनचर्या के काम के दौरान तनाव होता है, जोकि हमारी आंतरिक चिंता को बढ़ा देता है. इससे हमारे काम के परिणाम पर भी असर पड़ता है. अनुशासित रहकर परीक्षा के लिए अध्ययन करने और रोज की दिनचर्या के काम अच्छी तरह से करने में मदद मिलती है. अनुशासन के कारण कार्य को अच्छी तरह से एवं समय पर किया जा सकता है. ताकि कोई तनाव न हो. इसलिए अनुशासन का एक फायदा यह भी है कि यह तनाव मुक्त रहने में मदद करता है जिससे आपका आत्म सम्मान बढ़ता है.

अतः ऊपर दिए हुए सभी लाभ आपके जीवन को सफल एवं सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

अनुशासन का हमारे जीवन में महत्व (Importance of Discipline in Our Life)   

अनुशासन से होने वाले लाभ के बारे में तो आपने जान लिया अब यह जानते हैं कि यह हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है. इसके लिए निम्न बिन्दुओं पर नजर डालें –

दोस्तों जाने अनजाने में हम हर वक्त अनुशासन का किसी न किसी रूप में पालन करते ही हैं. क्योंकि यह हमारे जीवन में एक आदत बन जाती है. चाहे हम कहीं भी हो स्कूल, घर, कार्यालय, संसथान, कारखाने, खेल के मैदान, युद्ध के मैदान या अन्य किसी भी स्थान पर हो. हम इसका पालन करते ही है. इसलिए यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन जाता है.

अनुशासन हमारे जीवन के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब हम अनुशासन में रह कर काम करते हैं तो हमारा वह काम शांति से और अच्छे से हो जाता है. और जब हमारा काम आसानी से हो जाता है तो हमे आंतरिक ख़ुशी मिलती है और हमारा मन भी शांत रहता है.  
कई सफल व्यक्ति जिन्होंने अपने जीवन में काफी सफलता हासिल की हो वह अपनी इस सफलता का श्रेय अनुशासन को देते हैं. उनकी सफलता की राह में ज्ञान, संचार या कौशल से अधिक अनुशासन अहम भूमिका निभाता है.

अनुशासन हमारे व्यक्तिगत जीवन, करियर, काम, अध्ययन, जीवन शैली और यहाँ तक कि सामाजिक जीवन तक फैला हुआ है. इसलिए इसका महत्व भी हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक है.
अनुशासन हमें आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के अंदर अधिक अनुभव करने जैसे बहुत सारे अवसर प्रदान करता है.

यदि कोई व्यक्ति अनुशासन में काम नहीं करता है तो वह कितना भी अधिक प्रतिभाशाली और मेहनती क्यों न हो उसे सफलता आसानी से प्राप्त नहीं होती है. यहाँ तक कि यदि अनुशासन नहीं है तो इससे बहुत सारे भ्रम और विकार पैदा होते हैं. इससे जीवन की प्रगति रुक जाती है और बहुत सारी समस्या पैदा होती है. और अंत में निराशा मिलती है.
इस तरह से जीवन में अनुशासन बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है.

अनुशासन का विद्यार्थी जीवन में महत्व (Importance of Discipline in Students Life)

किसी विद्यार्थी को बेहतर शिक्षा तभी प्राप्त हो सकती है जब वह अनुशासन में रहकर कार्य करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि अनुशासन सीखे बिना शिक्षा अधूरी है. कक्षा में सिखाया गया अनुशासन छात्रों को अच्छी तरह से शिक्षा प्राप्त करने में और पूरे पाठ्यक्रम को समझने में मदद करता है. जब वे समय पर उठते है और समय पर स्नान और नाश्ता कर स्कूल जाते हैं तो यह अनुशासन ही हैं जो उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है. विद्यार्थियों के स्कूलों में सिखाया जाने वाला अनुशासन उन्हें स्वस्थ रहने में मदद करता है, जोकि उनके शरीर और दिमाग दोनों के विकास के लिए अच्छा है. इसलिए एक विद्यार्थी को बचपन से ही अनुशासन जैसी अच्छी आदतें सिखाई जाती है जोकि उनके लिए जीवन भर फायदेमंद रहती है.

अनुशासन पर सुविचार (Discipline Quotes)

अनुशासन पढ़ना, सीखना, प्रशिक्षण लेना, और इसके तरीके को जीवन में लागू करना है.

अनुशासन कोई नियम, कानून या सजा नहीं है, और न ही समर्पण या कर्तव्य पालन, कठोर, बोरिंग या हमेशा एक ही काम करने वाला है. अनुशासन एक विकल्प है जो आपकी पसंद हो सकता है, और यह निर्णय लेने में भी बेहतर होता है.

अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद होता है.

एक अनुशासित मन सुख की ओर जाता है और एक अनुशासनहीन मन दुःख की ओर ले जाता है.

सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चाबियों में से एक अनुशासन है, किन्तु यह जानते हुए भी हम इसका पालन करना पसंद नहीं करते है.

यह कोई जादू की छड़ी नहीं है जो हमारी समस्याओं को हल कर सके. समाधान हमारे काम और अनुशासन दोनों के साथ मिलता है.  

अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है.
नियमित रूप से आत्म अनुशासन और आत्म नियंत्रण से आप चरित्र की महानता को विकसित कर सकते हैं.

कोई भी व्यक्ति दूसरे को आदेश देने के लिए फिट नहीं है जब वह खुद को आदेश नहीं दे सकता है.

कुछ लोग अनुशासन को एक संस्कार मानते हैं, किन्तु मेरे लिए यह एक तरह का आदेश है जो मुझे उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र करता है.
इस तरह से हमें अनुशासन को अपने जीवन में लागू कर एक अनुशासित व्यक्ति बनना चाहिए. और अपने जीवन जीने के तरीके को आसन बनाना चाहिए तभी हम सफलता की राह पर चल सकते हैं.


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मृत्यु जीवन का एक अटल सत्य है

मृत्यु एक सत्य हैं Mrityu Ek Atal Satya Hain यह सत्य वचन एक हिंदी कहानी के जरिये आपके सामने रखा गया हैं | जीवन जन्म और मृत्यु के बीच का एक भ्रम हैं जिसे हम अनन्तकाल तक देखते हैं वास्तव में वह मृत्यु तक ही सीमित हैं | पढ़े हिंदी कहानी मृत्यु एक अटल सत्य हैं Mrityu Ek Atal Satya Hain………





मृत्यु सत्य हैं

एक राधेश्याम नामक युवक था | स्वभाव का बड़ा ही शांत एवम सुविचारों वाला व्यक्ति था | उसका छोटा सा परिवार था जिसमे उसके माता- पिता, पत्नी एवम दो बच्चे थे | सभी से वो बेहद प्यार करता था |

इसके अलावा वो कृष्ण भक्त था और सभी पर दया भाव रखता था | जरूरतमंद की सेवा करता था | किसी को दुःख नहीं देता था | उसके इन्ही गुणों के कारण श्री कृष्ण उससे बहुत प्रसन्न थे और सदैव उसके साथ रहते थे | और राधेश्याम अपने कृष्ण को देख भी सकता था और बाते भी करता था | इसके बावजूद उसने कभी ईश्वर से कुछ नहीं माँगा | वह बहुत खुश रहता था क्यूंकि ईश्वर हमेशा उसके साथ रहते थे | उसे मार्गदर्शन देते थे | राधेश्याम भी कृष्ण को अपने मित्र की तरह ही पुकारता था और उनसे अपने विचारों को बाँटता था |

एक दिन राधेश्याम के पिता की तबियत अचानक ख़राब हो गई | उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया | उसने सभी डॉक्टर्स के हाथ जोड़े | अपने पिता को बचाने की मिन्नते की | लेकिन सभी ने उससे कहा कि वो ज्यादा उम्मीद नहीं दे सकते | और सभी ने उसे भगवान् पर भरोसा रखने को कहा |

तभी राधेश्याम को कृष्ण का ख्याल आया और उसने अपने कृष्ण को पुकारा | कृष्ण दौड़े चले आये | राधेश्याम ने कहा – मित्र ! तुम तो भगवान हो मेरे पिता को बचा लो | कृष्ण ने कहा – मित्र ! ये मेरे हाथों में नहीं हैं | अगर मृत्यु का समय होगा तो होना तय हैं | इस पर राधेश्याम नाराज हो गया और कृष्ण से लड़ने लगा, गुस्से में उन्हें कौसने लगा | भगवान् ने भी उसे बहुत समझाया पर उसने एक ना सुनी |

 तब भगवान् कृष्ण ने उससे कहा – मित्र ! मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ लेकिन इसके लिए तुम्हे एक कार्य करना होगा | राधेश्याम ने तुरंत पूछा कैसा कार्य ? कृष्ण ने कहा – तुम्हे ! किसी एक घर से मुट्ठी भर ज्वार लानी होगी और ध्यान रखना होगा कि उस परिवार में कभी किसी की मृत्यु न हुई हो | राधेश्याम झट से हाँ बोलकर तलाश में निकल गया | उसने कई दरवाजे खटखटायें | हर घर में ज्वार तो होती लेकिन ऐसा कोई नहीं होता जिनके परिवार में किसी की मृत्यु ना हुई हो | किसी का पिता, किसी का दादा, किसी का भाई, माँ, काकी या बहन | दो दिन तक भटकने के बाद भी राधेश्याम को ऐसा एक भी घर नहीं मिला |

तब उसे इस बात का अहसास हुआ कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं | इसका सामना सभी को करना होता हैं | इससे कोई नहीं भाग सकता | और वो अपने व्यवहार के लिए कृष्ण से क्षमा मांगता हैं और निर्णय लेता हैं जब तक उसके पिता जीवित हैं उनकी सेवा करेगा |

थोड़े दिनों बाद राधेश्याम के पिता स्वर्ग सिधार जाते हैं | उसे दुःख तो होता हैं लेकिन ईश्वर की दी उस सीख के कारण उसका मन शांत रहता हैं |

दोस्तों इसी प्रकार हम सभी को इस सच को स्वीकार करना चाहिये कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं उसे नकारना मुर्खता हैं | दुःख होता हैं लेकिन उसमे फँस जाना गलत हैं क्यूंकि केवल आप ही उस दुःख से पिढीत नहीं हैं अपितु सम्पूर्ण मानव जाति उस दुःख से रूबरू होती ही हैं | ऐसे सच को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही जीवन हैं |

कई बार हम अपने किसी खास के चले जाने से इतने बेबस हो जाते हैं कि सामने खड़ा जीवन और उससे जुड़े लोग हमें दिखाई ही नहीं पड़ते | ऐसे अंधकार से निकलना मुश्किल हो जाता हैं | जो मनुष्य मृत्यु के सत्य को स्वीकार कर लेता हैं उसका जीवन भार विहीन हो जाता हैं और उसे कभी कोई कष्ट तोड़ नहीं सकता | वो जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ता जाता हैं |


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