चाह के भी जिससे कोई राज छुपाया नहीं जाता है
कभी हँसाता कभी रुलाता पर हर पल साथ निभाता है
खून का तो नहीं पर कभी – कभी हो जाता है उससे भी गहरा
ये प्यारा रिश्ता ही तो दोस्ती कहलाता है
कभी हँसाता कभी रुलाता पर हर पल साथ निभाता है
खून का तो नहीं पर कभी – कभी हो जाता है उससे भी गहरा
ये प्यारा रिश्ता ही तो दोस्ती कहलाता है