सोमवार, 27 जून 2016

हथिनी और एक बिल्ली की कहानी

मधुवन में सारे जानवर खुशी खुशी रहते थे| उस जंगल में एक हथिनी और एक बिल्ली रहती थी| दोनों एक दूसरे की घनिष्ट सहेली थीं| सयोंग की बात थी कि हथिनी और बिल्ली दोनों आजकल गर्भावस्था(Pregnant) में थीं|

ठीक 3 महीने बाद बिल्ली ने 6 बच्चों को जन्म दिया| हथिनी अभी भी गर्भावस्था में ही थी| करीब 6 महीने बाद बिल्ली ने फिर से गर्भ धारण किया और इस बार 3 बच्चों को जन्म दिया| हथिनी अभी भी गर्भावस्था में ही थी|
 
ऐसे ही दिन बीतते गए, करीब 9 महीने बाद बिल्ली ने फिर से गर्भ धारण किया और इस बार 4 बच्चों को जन्म दिया| हथिनी अभी भी गर्भावस्था में ही थी| एक दिन ऐसे ही दोनों सहेलियां तालाब के किनारे घूम रहीं थीं| तभी बिल्ली ने हथिनी का मजाक उड़ाते हुए कहा – हम दोनों ने साथ साथ ही गर्भ धारण किया था लेकिन देखो मैं अब तक कितने सारे बच्चों को जीवन दे चुकी हूँ| एक तुम हो महीनों बाद भी वैसी की वैसी , तुम वास्तव में गर्भावस्था में भी हो या नहीं| बिल्ली ने मजाक उड़ाते हुए कहा|



हथिनी ने बिल्ली की बात को गंभीरता से लिया और बोली – बहन मेरे पेट में कोई बिल्ली जैसे छोटे बच्चे नहीं हैं| इसमें एक हाथी है, मैं 2 साल में एक बच्चे को जन्म देती हूँ| लेकिन जब मेरा बच्चा जमीन पर कदम रखता है तो जमीन हिल उठती है| जब मेरा बच्चा सड़क पार करता है लोग पीछे हट जाते हैं और उसकी विशालता को आश्चर्य से देखते हैं| मेरा एक पुत्र ही महाबलशाली होता है|
बिल्ली अपना सा मुँह लेकर आगे चली गई|

दोस्तों जिंदगी में कई बार जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं तो कई बार अपने ऊपर से विश्वास खो देते हैं|

जब दूसरे लोग आपसे जल्दी सफल हो जाएँ तो घबराइए मत
जब दूसरे लोगों की प्रार्थना भगवान जल्दी सुनने लगें तो निराश मत होइए 
जब दूसरे लोग आपसे जल्दी अमीर होने लगें तो अपना विश्वास मत खोइए
आपकी प्रगति अगर धीमे हो रही है तो घबराइए मत

हो सकता है आपका मालिक(ईश्वर) आपको कुछ बड़ा देना चाह रहा हो| ये मत सोचिये की दूसरे सफल हो रहे हैं तो मैं क्यूँ नहीं| हो सकता है आपका मालिक आपको इतनी बड़ी सफलता देने के तैयारी में हो कि दुनिया उसको देखे|


सभी सामग्री इंटरनेट से ली गई है(hindisoch.com)

शुक्रवार, 24 जून 2016

पहले खुद को बदलो (Hindi Stories)


एक समय की है बात, एक महिला महात्मा गांधीजी के पास आई और उनसे पूछा की वे उनके बेटे से कहे की वह शक्कर खाना छोड़ दे। गांधीजी ने उस महिला को अपने बच्चे के साथ एक हफ्ते बाद आने के लिए कहा। 

पुरे एक हफ्ते बाद ही वह महिला अपने बच्चे के साथ वापिस आई, और गांधीजी ने उसके बेटे से कहा, "बेटा, कृपया शक्कर खाना छोड़ दो।"

जाते-जाते उस महिला ने महात्मा गांधी जी का शुक्रियादा किया जाने के लिए पीछे मुड ही रही थी की उसने गांधीजी से पूछा, की उन्होंने यही शब्द एक हफ्ते पहले उसके बेटे से क्यू नही कहे थे।
गांधीजी ने नम्रता से जवाब दिया, "क्यू की एक हफ्ते पहले, मैंने शक्कर खाना बंद नहीं किया था।"

सीख - नैतिक

यदि आपको दुनिया को बदलना है, तो सबसे पहले आपको अपने आप को बदलना होंगा। यही महापुरुष महात्मा गाँधी के शब्द थे।

दोस्तों, हम सभी में दुनिया बदलने की ताकत है पर इसकी शुरुवात खुद से ही होती है। कुछ और बदलने से पहले हमें खुद को बदलना होंगा ... हमें खुद को तैयार करना होंगा ... अपनी काबिलियत की अपनी ताकत बनाना होंगा ...

अपने रवैये (मनोवृत्ति) को सकारात्मक (सकारात्मक) बनाना होंगा ... अपनी चाह को फौलाद करना होंगा ... और तभी हम वो हर एक बदलाव ला पाएंगे जो हम सचमुच में लाना चाहते है ..
दोस्तों, इसी बात को महात्मा गाँधी ने बड़े ही प्रभावी ढंग से कहा है,

"खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते है।"
तो चलिए क्यों ना आज से ही हम गांधीजी की राहो पर चलने की कोशिश करे। और पहले खुद में वो बदलाव लाये जो आप दुनिया में अपने आसपास में देखना चाहते हो ..