मंगलवार, 11 सितंबर 2012

फल खाने की अधीरता


आम के मौसम में बग़ीचे में बंदरों का खूब उत्पात रहता था. बहुत सारा फल बंदर खा जाते थे. इस बार मालिक ने बंदरों को दूर रखने के लिए कुछ चौकीदार रख लिए सुरक्षा के कड़े उपाय अपना लिए.
बंदरों को मीठे आम का स्वाद मिलना मुश्किल हो गया. वे अपने सरदार के पास गए और उनसे अपनी समस्या के बारे में बताया.
बंदरों के सरदार ने कहा कि हम भी इनसानों की तरह आम के बगीचे लगाएंगे, और अपनी मेहनत का फल बिना किसी रोकटोक के खाएंगे.
बंदरों ने एक बढ़िया जगह तलाशा और खूब सारे अलग अलग किस्मों के आम की गुठलियाँ किया एकत्र और बड़े जतन से उन्हें बो दिया.
एक दिन बीता, दो दिन बीते बंदर सुबह शाम उस स्थान पर जा कर देखते. तीसरे दिन भी जब उन्हें जमीन में कोई हलचल दिखाई नहीं दी तो उन्होंने पूरी जमीन फिर से खोद डाली और गुठलियों को देखा कि उनमें से पेड़ क्यों निकल नहीं रहे हैं. इससे गुठलियों में हो रहे अंकुरण खराब हो गए.
कुछ पाने के लिए कुछ समय तो देना पड़ता है!


संकलन - सुनील हांडा (आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ)

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