सोमवार, 18 जून 2012

चार पंक्तियाँ दोस्तों के लिए

चाह के भी जिससे कोई राज छुपाया नहीं जाता है
कभी हँसाता कभी रुलाता पर हर पल साथ निभाता है
खून का तो नहीं पर कभी – कभी हो जाता है उससे भी गहरा
ये प्यारा रिश्ता ही तो दोस्ती कहलाता है

कभी लडखडा के तो देख

यूँ तो हर चाहने वाला तेरे सपने सजाता निगाहों मे है,
पर कभी सोचा कि ये फूल बिखेरता कौन तेरी राहों में है,
तुझे बस अपनी ओर बुलाते हैं ये जमाने भर के हाथ,
पर कभी लडखडा के तो देख तु गिरती किसकी बाहों मे है|

नेता बनाम आम आदमी


नेता!
एक ऐसा शब्द जिसके सामने आते ही बस हर कोई अपनी भड़ास निकलने की जी तोड़ कोशिश करता है! बिक गए हैं नेता! भ्रष्ट हो गए हैं नेता! गरीबी, भूख-मरी, बाढ़… जिम्मेदार यही नेता हो हैं! अरे साहब इन्हें तो लाइन से खड़ा कर के गोली मार देनी चाहिए! इस देश की जो हालत हुई है उसके लिए यही प्रजाति तो जिम्मेदार है…………… पर सवाल ये है की इस प्रजाति में ऐसा अलग क्या है जो बाकि हिन्दुस्तानियों में नहीं है ………. या यूँ कहें की आम आदमी में नहीं है ?
हाँ ये सवाल थोडा टेढ़ा हो गया….. अच्छा ठीक है सवाल ऐसे करते हैं …… आम आदमी किस तबके से आता है ??? ऊपर से चलें या नीचे से ??? अच्छा बीच से कहीं से उठाते हैं …… बाबु … ये शब्द तो बहुत ऊँचे लोगो के लिए तो नहीं है न ………. कितने प्रतिशत बाबु आप का काम बिना रिश्वत लिए कर देते हैं ??? या कितने प्रतिशत जूनियर इंजीनियर (J.E.) भ्रष्ट नहीं है ??? शिक्षक ……… समाज का सबसे प्रबुद्ध वर्ग….. कितने प्रतिशत शिक्षक अपना कार्य कर्त्तव्य परायणता के साथ करते हैं ………. क्या ये भारत की आम जनता नहीं है ???
और आगे चलते हैं ……..
सरकार तो कुछ काम ही नहीं करती …… अब भाई सरकार क्या करे ?? योजना ही तो चला सकती है पर वो आम आदमी के नाम पर कमाने का साधन मात्र है… यही ना ?? अब सरकार ने गरीब बच्चों के लिए एक पहल की – ‘मिड-डे मिल’ ! शायद आप में से कुछ लोगो ने नाम भी सुना होगा …. होता क्या है या तो जो बनता है वो खाने लायक नहीं रहता या फिर ऊपर वाले (ये बहुत ऊपर वाले नहीं है आम आदमी में से हैं ) लोग खा के ख़तम कर देतें है . अब सरकार क्या करे … वो तो आम आदमी का कुछ भला करना चाहती भी है तो आम आदमी आदमी एक दुसरे का हक मरने पे तुला हुआ है और दोष तो सरकार को ही मिलना है…..
मेरे यहाँ यहीं बगल में नॉएडा स्टेडियम है पर उसमे जो कुछ भी लगाया जाता है लोग घुस के चुरा के ले जाते हैं और बेच देते हैं ……… अब स्पोर्ट्स में सुविधा कहाँ से आये …… या तो मैंदान बना के उसमे किसी को खेलने न दिया जाये तो सारी सुविधा रहेंगी या फिर आम आदमी सुधर जाये तो ………
शायद अभी भी मैं कुछ लोगों के ‘आम आदमी’ की व्याख्या नहीं कर पा रहा हूँ तो वो ऐसे कर देता हूँ : कोई भी १०० गरीब ग्राम चुना जाये उसमे से यद्रिछ्या (at random) १०० लोगो(हर गावं से कोई भी एक आदमी) को चुना जाये और हर इन सभी को १-१ लाख रुपये दे दिए जायें की आप अपने गाँव के गरीबों में बाट दीजियेगा………. जितने प्रतिशत रुपया सही और जरुरत मंद लोग (वो देने वाले का रिश्तेदार ना हो, गरीब हो) को मिल पाए बस उतने प्रतिशत भारतीय भ्रष्ट नहीं हैं! और बाकि आप समझ ही गए होंगे की इसकी क्या सम्भावना है ……………..
सच्चाई ये भी है की यहाँ इमानदार को बेवकूफ भी समझा जाता है … मैं किसी और का क्या उदाहरण दूं मैं अपना हे देता हूँ ! मैं ट्रेन में सफ़र कर रहा था और मेरे टिकट न मिल पाने की वजह से मैं सामान्य श्रेणी का टिकट लेके और शयनयान में बैठ गया टीटी आया तो मैंने उसे टिकट बनाने को कहा ये जानते हुए भी की इतनी भरी ट्रेन में सीट नहीं मिल पायेगी और २५० रूपये अतिरिक्त भी देने होंगे पर चुकी नियम यही है इसलिए टीटी को १०० रूपये पकड़ाने की जगह मैंने ये रास्ता चुना ….. आम आदमी मेरे अगल बगल मुझे ये समझा रहे थे की आप को सीट भी नहीं मिलेगी …… यानि की रिश्वत देके काम चलाओ …….. और ऐसा नहीं करने के कारन मैं उनकी नज़रों में एक ईमानदार नहीं मुर्ख व्यक्ति ही था और हूँ ……….
साहब यही हालत और हालात हैं नेता के पास भ्रष्ट होने के ज्यादा तरीके हैं इसलिए वो ज्यादा भ्रष्ट हैं ! जिस भी आम आदमी के पास वो तरीका आएगा वो ही भ्रष्ट हो जायेगा अपवाद तो अब भी हैं तब भी रहेंगे! जिसे मैका नहीं मिलेगा वो गली देगा!
मानो या न मानो आम आदमी ज्यादा भ्रष्ट है! ये नेता भी इन्ही में से एक है जो अब खास हो गया है! जिस दिन मेरे देश का आम आदमी सुधर जायेगा उस दिन इस देश में भ्रस्टाचार फ़ैलाने वाले नहीं रह पाएंगे!
नोट: यहाँ मेरा मकसद भारतीयों को भ्रष्ट कहना नहीं है बल्कि ये कहना है की अपनी सरकार को हर बात पे कोसने के पहले हमे सोचना चाहिए की हम क्या कर रहे हैं !
ये लोकतंत्र भी हमारा है इसे गाली देना देश का अपमान ही है बेहतर है की हम कुछ सार्थक करें!

मैं इमरान हाशमी बनना चाहता हूँ


पांचवी कक्षा की एक क्लास मे मास्टर ने बच्चों से पूछा
बताओ क्या बनोगे, कैसे करोंगे अपने माँ-बाप का नाम ऊँचा
किसी ने IAS. किसी ने PCS. किसी ने कहा अच्छा आदमी बनाना चाहता हूँ
तभी पीछे की सीट से उठकर एक बच्चे ने कहा
Sir! मैं इमरान हाशमी बनना चाहता हूँ

ऐसे जवाब की ख्वाब मे भी नही की थी कभी कल्पना
पर Teacher को लगा शायद हो ये लडके का बचपना
समझाया की बेटा गलती की है तुने Career को चुनने मे
ये तो बता क्या प्रॉब्लम है तुझे और कुछ बनने मे ???

लड़का बोला Sir! जॉब मे अभी कहाँ इतना पैसा है
और Business करना मुझे लगता बेवकूफों जैसा है
नेता फस जाते हैं Akshar स्टिंग ऑपरेशन के जंजाल मे
खेल मे Zahar भर दिया मैच फिक्सिंग के बवाल ने
पर फ़िल्म इंडस्ट्री मे प्रोफिट की लाइन हमेशा ऊपर चढ़ती है
बढ़िया काम से Price-Value तो बुरे से Popularity बढ़ती है
और इस बात को तो ख़ुद कई बड़े फ़िल्म समीक्षक माने है
MMS Clips से भी ज्यादा बिकते इमरान के फिल्मो के गाने है

मै भी ऐसे गाने कर अपनी लाइफ बदलना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir! मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

हुंह!!!! आज कल के लडके जाने पढ़ते हैं किस किताब से
Teacher का भी सर चक्र गया बच्चे के इस जवाब से
Teacher ने फ़िर भी पूछा उसमे ऐसी क्या बात समाई है
ये तो बता अभिषेक बच्चन बनने मे क्या बुराई है ???

सिर्फ़ दो फिल्मो से इतना नाम नही कमाया अभिषेक के बाप ने
Murder किया लड़किया फ़िर भी कहती .Aashiq Banaya Aap Ne…
मल्लिका,तनुश्री, उदिता निपटी पिछली फिल्मों की साइन मे
सुनाने मे आया है की अब सेलिना हृषिता भी है लाइन मे

मै भी ऐसे टेस्टी CHOCOLATE का स्वाद चखाना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

अब मास्टर का गुस्सा पहुच गया सातवे आसमान पे
बोले.. सिवाय लड़किया घुमाने के क्या किया इमरान ने ??
Sir! लड़कियों को पीछे घुमाना कोई आसान काम नही
वरना बड़े Powerful लोगो का होता ये अंजाम नहीं

क्या नही जानते आप America के पूर्व राष्ट्रपति को ??
कैसे प्राप्त हुए मोनिका के चक्कर मे .वीरगति को
बदल गया कप्तान देश का सौरभ-नग्मा के टक्कर मे
Cricket खेलना भूल गया वो .नए खेल के चक्कर मे
मेरी इतनी बातों का मतलब बिलकुल सीधा-साफ है
काबिलियेत मे भी इमरान हाशमी. बिल क्लिंटन का बाप है

मैं भी एक Demanded और काबिल आदमी बनाना चाहता हूँ
इसीलिए तो Sir! मैं इमरान हाशमी बनाना चाहता हूँ

मंगलवार, 12 जून 2012

यदि आप फ़ेसबुक पर नहीं हैं तो ये पोस्ट आपके लिए नहीं है


मिडिल क्लास की यंत्रणा


गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही पड़ गई,
वर्मा जी भी हो गए परेशान,
कुछ पसीने से,
कुछ बीबी-बच्चों के तानों से,
बेंक ने लोन दे दिया,
घर में एसी लगवा लिया,
खूब ठंडी हवा खाई,
कोलोनी में बिना एसी वालों को देखते,
तब मन ही मन कहते,
'उफ़ यह मिडिल क्लास वाले',
फिर आया विजली का बिल,
एसी की ठंडी हवा में पसीने आ गए,
लोन की किश्त भरें,
या विजली का बिल दें?
डराबने सपने आने लगे,
कभी विजली कट जाए,
कभी बेंक के गुंडे आ जाएँ,
खुद ही एसी वापस कर आये,
पसीना वर्दाश्त कर लेंगे,
लोन पर एसी लेकर,
मिडिल से अपर क्लास नहीं हो जाता कोई.

एहसान फरामोश आम आदमी



            आम आदमी

बेशर्म आम आदमी,
हर समय शिकायत करता है, 
सरकार ने यह नहीं किया,
सरकार ने वह नहीं किया,
बेबकूफ यह भी नहीं जानता,
सरकार आम आदमी से बनती है,
आम आदमी से चलती नहीं,
सरकार बनाने की कीमत दी थी तुझे,
दारू, मुर्गा, कम्बल और ढेर आश्वासन,
साला सब भूल गया,
एहसान फरामोश कहीं का,
कितनी दरियादिल है सरकार,
हर पांच साल बाद आती है,
और बांटती है दारू, मुर्गा, कम्बल,
पुराने और नए-नए आश्वासन, 
पर बेशर्म आम आदमी,
करता रहता है हर समय शिकायत. 

बड़े काम की साइट ( नॉर्दर्न रेलवे )

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अगर आप रेलवे रिजर्वेशन करवाना चाहते हैं तो अब आपको लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। इंटरनेट पर रिजर्वेशन की सुविधा तो पहले से ही थी, हाल ही में खबर आई कि अब आप अपने मोबाइल के जरिए बेहद आसानी से अपना टिकट बुक करवा सकते हैं। बस आपके मोबाइल में इंटरनेट होना चाहिए। इसके अलावा फेसबुक ने भी रेलवे का फेस बदला है। ट्रेन टिकट रिजर्वेशन के तमाम दांव-पेचों की जानकारी दे रहे हैं Dinesh Goyal

फेसबुक पर नया फेस 

नॉर्दर्न रेलवे के दिल्ली डिविजन ने हाल ही में फेसबुक पर ट्रेनों में करंट रिजर्वेशन के तहत खाली सीटों का स्टेटस बताना शुरू कर दिया है। इसके तहत रिजर्वेशन चार्ट बनने के बाद जो खाली सीटें होती हैं, उन्हें अलॉट किया जाता है। इसका रिजर्वेशन ऑनलाइन नहीं होता और इसके लिए स्टेशन पर बने करंट काउंटर पर जाना पड़ता है। रेलवे ने नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन, आनंद विहार और सराय रोहिल्ला स्टेशनों से शुरू होने वाली ट्रेनों का करंट स्टेटस बताने की व्यवस्था शुरू की है लेकिन सराय रोहिल्ला और आनंद विहार स्टेशन से यह नहीं हो पा रहा है। नॉर्दर्न रेलवे के पीआरओ ए. एस. नेगी का दावा है कि जल्दी ही इन दोनों स्टेशनों से खुलने वाली ट्रेनों का करंट स्टेटस भी पता लग पाएगा। करंट रिजर्वेशन उसी स्टेशन से कराया जा सकता है, जहां से ट्रेन स्टार्ट होती है। 

चेक करें करंट रिजर्वेशन का स्टेटस 

फेसबुक पर search में जाकर Delhi Division Northern Railway सर्च करें। 

इसके बाद लेफ्ट साइड में बने info को क्लिक करें। नया पेज खुलने के बाद स्क्रॉल करके और नीचे जाएं। अब इस लिंक पर क्लिक करें http://122.252.248.145:8182/RW/ 

ट्रेन का रिजर्वेशन चार्ट तैयार होने के बाद जो सीटें (सभी क्लास की) खाली रह गई हैं, उनकी पूरी जानकारी आपकी स्क्रीन पर आ जाएगी। 

यहां एक बात ध्यान देने लायक है कि करंट और तत्काल रिजर्वेशन में अंतर होता है। तत्काल का टिकट आप ट्रेन रवाना होने से एक दिन पहले बुक करा सकते हैं, वहीं करंट के लिए आपको उस ट्रेन के चार्ट बनने का इंतजार करना होगा। चार्ट बनने के बाद जो सीटें खाली रह जाती हैं, उनका करंट रिजर्वेशन होता है। रेलवे फेसबुक पर भी बार-बार बता रही है कि करंट की सीटों का मतलब तत्काल टिकट से नहीं है। करंट बुकिंग के लिए अलग विंडो होती है और इस कोटे की सीटें वहीं से बुक कराई जा सकती हैं। करंट रिजर्वेशन पर कोई एडिशनल चार्ज नहीं लगता। 

फायदा: आमतौर पर लोग रिजर्वेशन चार्ट तैयार होने के बाद मान लेते हैं कि अब उस ट्रेन में रिजर्वेशन का कोई चांस नहीं है। जिसे करंट रिजर्वेशन के बारे में पता भी होता है, वह भी इतना रिस्क नहीं लेता कि पहले घर से स्टेशन जाए और फिर वहां से इन सीटों के बारे में पता करे। रिजर्वेशन चार्ट आमतौर पर ट्रेन के डिपार्चर टाइम से चार घंटे पहले तैयार होता है। इसके बाद भी यदि करंट का स्टेटस ऑनलाइन पता चल जाए तो लोग आराम से स्टेशन जाकर सीट बुक करा सकते हैं। इससे रनिंग ट्रेन में टीटीई की मनमानी पर भी अंकुश लगेगा। 

घर बैठे जानें प्लैटफॉर्म 

1- आपकी ट्रेन किस प्लैटफॉर्म से रवाना हो रही है या आने वाली है, इसकी जानकारी के लिए आप फेसबुक पर Search कॉलम में जाकर Delhi Division Northern Railway सर्च करें। 

2- दिल्ली डिविजन का पेज खुलने के बाद आपको लेफ्ट साइड में info का ऑप्शन मिलेगा। उसमें रेलवे के बारे में जानकारी दी गई है। उसके नीचे आपको Delhi Division Northern Railway http://122.252.248.147/MIC_nr/NR_DelhiDiv_TADInfoNetView.aspx लिंक मिलेगा। इसे क्लिक करने पर आप दिल्ली के तीन बड़े स्टेशनों नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन स्टेशनों पर आने-जाने वाली ट्रेनों का प्लैटफॉर्म नंबर देख सकते हैं। आप चाहें तो इस लिंक को सेव भी कर सकते हैं। इंटरनेट वाले मोबाइल पर भी यह सुविधा ली जा सकती है। चाहें तो मोबाइल के बुक मार्क्स में इस लिंक को सेव कर सकते हैं। 

बड़े काम की साइट 

http://www.indianrail.gov.in/ 

रेलवे की सुपरहिट साइट है और इस पर ट्रेनों के बारे में पूरी जानकारी के साथ-साथ सीटों की उपलब्धता और रेलवे के नियम विस्तार से पढ़ने को मिल जाएंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा ट्रेन रनिंग इन्फर्मेशन में मिलता है। इस साइट के खुलने के बाद लेफ्ट साइड में Train Running Information है। आप जैसे ही इसे क्लिक करेंगे, आपके सामने ट्रेन का नाम या नंबर लिखने का ऑप्शन आएगा। यदि आपको ट्रेन का नंबर पता है तो नंबर डालना ही ठीक रहता है क्योंकि नाम डालने के बाद अप और डाउन दोनों गाडि़यों का ऑप्शन आ जाता है। नंबर डालने के बाद ट्रेन का नाम आएगा और पूछा जाएगा कि आप पिछले दिन चलने वाली, आज, कल (आने वाला और बीता हुआ) या परसों चलने वाली ट्रेन का रनिंग इन्फर्मेशन चाहते हैं। 

इसमें सारे स्टेशनों के नाम भी आएंगे, जहां ट्रेन का स्टॉपेज है। यदि हावड़ा से आ रही किसी ट्रेन की पोजिशन नई दिल्ली में 4 घंटे लेट बताई जा रही है और आपको लगता है कि ट्रेन उससे भी अधिक लेट है तो आप पिछले स्टेशनों पर जाकर देख सकते हैं कि ट्रेन वहां कितनी लेट है। मान लीजिए नई दिल्ली में ट्रेन चार घंटे लेट दिखा रही है और यहां आने से पहले ट्रेन का स्टॉपेज कानपुर और इलाहाबाद में है तो आप इलाहाबाद स्टेशन सिलेक्ट करके जान सकते हैं कि वह ट्रेन वहां कितनी लेट है। इससे आप एक अंदाजा भी लगा सकते हैं। इसके अलावा इस साइट पर आपको ट्रेन में रिजर्वेशन कराने के लिए किस क्लास में कितनी सीटें खाली है यह भी पता चल जाता है। 

www.irctc.co.in से यह इस मामले में सुविधाजनक है क्योंकि इसमें एक ऑप्शन all class का है जहां से आपको एक ही विंडो खुलने पर उस ट्रेन के हर क्लास की सीटों का स्टेटस पता चल जाता है। रनिंग ट्रेन का स्टेटस जानने के लिए आप सीधे www.trainenquiry.com पर भी जा सकते हैं। 

रिजर्वेशन 

ऑनलाइन या विंडो पर 90 दिन पहले से रिजर्वेशन शुरू होता है। हालांकि नॉर्दर्न रेलवे की कुछ ट्रेनों में सिर्फ 30 दिन पहले ही रिजर्वेशन कराया जा सकता है। ट्रेन नंबर 4001/4002 दिल्ली अटारी लिंक एक्सप्रेस में 15 दिन पहले तक ही रिजर्वेशन कराया जा सकता है। 

इन गाड़ियों में होता है 30 दिन पहले रिजर्वेशन- 

-गोमती एक्सप्रेस 

-ताज एक्सप्रेस 

-हिमालयन क्वीन एक्सप्रेस 

-शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस 

-नई दिल्ली-श्रीगंगानगर इंटरसिटी 

-नई दिल्ली-बठिंडा एक्सप्रेस 

-आगरा इंटरसिटी 

-अमृतसर इंटरसिटी 

-नई दिल्ली-जालंधर एक्सप्रेस 

-दिल्ली-कोटद्वार गढ़वाल एक्सप्रेस 

-लखनऊ-इलाहाबाद इंटरसिटी 

-गंगा गोमती लखनऊ-इलाहाबाद एक्सप्रेस 

-वाराणसी-लखनऊ इंटरसिटी 

-बरेली-नई दिल्ली इंटरसिटी 

-दिल्ली-बठिंडा किसान एक्सप्रेस 

-अंबाला-श्रीगंगानगर इंटरसिटी 

-हरिद्वार-श्रीगंगानगर एक्सप्रेस 

यह भी है काम की साइट 

nr.indianrailways.gov.in 

इस साइट को ओपन करने पर राइट साइड में नीचे आपको Press Releases/News कॉलम मिलेगा। इसे दिन भर में कई बार अपडेट किया जाता है और आप इसमें ट्रेनों की बाबत महत्वपूर्ण जानकारी पा सकते हैं। जैसे पिछली होली के दौरान जाट आंदोलन के कारण दिल्ली से ईस्टर्न यूपी और बिहार जाने वाली कई ट्रेनें कैंसल हो रही थीं। उस दौरान इस साइट पर एडवांस में यह जानकारी दी जा रही थी कि कल कौन सी ट्रेन पूरी तरह या आंशिक रूप से कैंसल की गई है या कौन सी ट्रेन रूट बदलकर चल रही है। 

ई-टिकटिंग 

इसके लिए सबसे पहले आपको अपना लॉगइन क्रिएट करना होगा। इसके लिए आप www.irctc.co.in क्लिक करें। पेज खुलते ही लेफ्ट साइट में uesrname और Password के बाद login के नीचे आपको sign up का ऑप्शन मिलेगा। sign up में क्लिक करते ही एक पेज खुलेगा, जिसमें मांगी गई जानकारी भरने के बाद आईआरसीटीसी की इस साइट पर आप रजिस्टर्ड हो जाएंगे। यहां से आप डेबिट, क्रेडिट कार्ड या इंटरनेट बैंकिंग की मदद से बर्थ रिजर्व करवा सकते हैं। विंडो की तरह ही यहां भी एक पीएनआर नंबर पर छह सीटें बुक करवाई जा सकती हैं। यहां से बुकिंग कराने पर रेलवे सर्विस चार्ज लेता है। सेकंड सिटिंग और स्लीपर क्लास के टिकट पर यह चार्ज 10 रु. है और अपर क्लास का 20 रु.। ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा रात 12:30 से रात 11:30 बजे तक उपलब्ध रहती है यानी रात 11:30 से 12:30 के बीच ऑनलाइन रिजर्वेशन नहीं कराया जा सकता। रियायती टिकटों के मामले में सिर्फ सीनियर सिटिजन के टिकट ही ऑनलाइन बुक कराए जा सकते हैं। 

टिकट कैंसल और रिफंड 

ऑनलाइन बुक कराए गए टिकट ऑनलाइन ही कैंसल कराए जा सकते हैं। ट्रेन कैंसल होने की स्थिति में आपको ट्रेन के डिपार्चर टाइम के 72 घंटे के अंदर इसे कैंसल कराना होगा। वेटिंग लिस्ट में रहने पर ई टिकट खुद कैंसल हो जाते हैं। 72 घंटे के अंदर टिकट कैंसल नहीं कराने पर भी टिकट होल्डर के पास TDR के माध्यम से टिकट कैंसल कराने का ऑप्शन रहता है। TDR का ऑप्शन भी irctc.co.in साइट पर उपलब्ध है। जैसे ही आप लॉग इन करेंगे, यह ऑप्शन आपको राइट साइड में मिल जाएगा। अब ट्रेन में जर्नी करते समय आपको टिकट का प्रिंट लेकर चलने की जरूरत नहीं है। रेलवे ने यह व्यवस्था की है कि मोबाइल, लैपटॉप या आईपैड पर टिकट जर्नी के समय टीटीई को दिखा सकते हैं। पूरे महीने में दस बुकिंग से ज्यादा नहीं करा सकते। यह बुकिंग चाहें तो एक दिन में भी करा सकते हैं। यह लिमिटेशन महीने भर की है। 

यात्रा की तारीख से 24 घंटे पहले तक कन्फर्म टिकट कैंसल कराने पर फुल रिफंड मिलता है, लेकिन आपके पास स्लीपर का टिकट है तो 40 रुपये कट जाएंगे और अगर टिकट एसी का है तो 80 रुपये। 24 घंटे से कम समय रह जाने पर टिकट कैंसल कराने पर 50 फीसदी रकम कट जाती है। कैंसिलेशन आप कभी भी करा सकते हैं। चार्ट बनने के बाद भी और ट्रेन छूट जाने पर भी। ट्रेन छूट गई और आपके पास ई टिकट है तो कैंसल कराने के लिए टीडीआर फाइल करना होगा। आमतौर पर 72 घंटे में रकम आपके अकाउंट में आ जाती है। अगर आपने विंडो से टिकट लिया है तो आपको कैंसिलेशन के लिए विंडो पर ही जाना होगा। इसमें किलोमीटर और घंटे का गुणा-भाग किया जाता है। 

मोबाइल से रिजर्वेशन 

इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं : 

1. आपके मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन होना चाहिए। 

2. कम्प्यूटर के जरिए irctc.co.in साइट पर आपका रजिस्टेशन हो चुका हो यानी आपके पास यूजर आईडी और पासवर्ड हो। टिकट रिजर्वेशन कराने के लिए अब इंटरनेट के जरिए आप irctc.co.in/mobile सर्च करें। नई व्यवस्था के मुताबिक, आपकी स्क्रीन पर इंटरनेट बुकिंग का पेज खुल जाएगा। यहां से आप टिकट रिजर्व कराने के साथ ही उसे कैंसल भी करा सकते हैं। आप इस पर बुकिंग हिस्ट्री भी चेक कर सकते हैं। अब मोबाइल स्क्रीन पर ढेर सारे फीचर वाला पेज नहीं खुलता। यानी इसे अब मोबाइल फ्रेंडली कर दिया गया है। 

SMS सर्विस 

97176-31813 

नॉर्दर्न रेलवे के दिल्ली डिविजन ने हाल ही में एक ऐसी एसएमएस सर्विस शुरू की है जिससे आपको ट्रेनों के आने-जाने और जिस प्लैटफॉर्म पर वह ट्रेन आ रही है, उसकी जानकारी हो जाएगी। इसके लिए आपको मेसेज बॉक्स में जाकर ट्रेन का नंबर लिखना होगा और उसे इस नंबर पर भेज देना होगा। आपको रेलवे की तरफ से मांगी गई जानकारी दे दी जाएगी। फिलहाल यह सुविधा सिर्फ दिल्ली के कुछ खास स्टेशनों के लिए चालू की गई है। हालांकि अभी प्लैटफॉर्म की जानकारी नहीं मिल पा रही है। सेकंड फेज में इसे दिल्ली डिविजन में आने वाले सभी स्टेशनों के लिए शुरू किया जाएगा। 

97176-30982 

अगर आपको रेलवे सर्विस को लेकर किसी भी तरह की शिकायत है तो आप इस नंबर पर अपनी शिकायत मेसेज कर सकते हैं। चलती ट्रेन में भी आपको कोई परेशानी होती है तो आप इस नंबर की मदद ले सकते हैं। हालांकि आपको इतना ध्यान रखना होगा कि आपकी शिकायत 140 कैरेक्टर से ज्यादा न हो। इस नंबर पर की गई शिकायत की जांच के लिए एक कंप्लेंट रिड्रेसल सेल बनाया गया है जिसे एजीएम (नॉर्दर्न रेलवे) लीड करते हैं। आपकी शिकायत पर क्या कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी भी आपको दे दी जाएगी। इस नंबर के अलावा आप 011-2338-4040 या 2338-7326 पर फैक्स कर सकते हैं या ccmfm@nr.railnet.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं। इन सभी नंबरों, फैक्स और मेल पर चौबीसों घंटें कंप्लेंट की जा सकती है। दिल्ली डिविजन में आप 011-2334-5686 पर भी कॉल कर सकते हैं। यह हेल्पलाइन चौबीसों घंटे काम करती है। 

155-210 

यह चौबीसों घंटे की विजिलेंस हेल्पलाइन है और आप इस नंबर पर रेलवे से संबंधित किसी भी तरह के करप्शन की शिकायत कर सकते हैं। इतना ख्याल रखें कि इस नंबर पर आम शिकायत दर्ज न कराएं। 

तत्काल के नियम 

-तत्काल टिकट के नए नियमों के मुताबिक, बेसिक फेयर का 10 फीसदी सेकंड क्लास पर और दूसरे क्लास के लिए बेसिक फेयर का 30 फीसदी देना होगा। इसमें न्यूनतम और अधिकतम का फंडा भी है। 

-तत्काल टिकट की बुकिंग ट्रेन खुलने के एक दिन पहले से होती है। अगर आपकी ट्रेन 10 जनवरी की है तो उस ट्रेन के लिए तत्काल की सीटें 9 जनवरी को सुबह 8 बजे से बुकिंग के लिए उपलब्ध होंगी। 

-तत्काल टिकट खो जाने पर आमतौर पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू नहीं किया जाता। कुछ खास स्थितियों में तत्काल चार्ज समेत टोटल फेयर पे करने पर डुप्लिकेट टिकट इश्यू किया जा सकता है। 

-तत्काल टिकट टिकट विंडो से लेने के लिए आठ वैलिड आइडेंटिटी प्रूफ में से एक दिखाना होगा। ये हैं - पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, फोटो वाला क्रेडिट कार्ड, सरकारी निकायों का फोटो आई कार्ड, मान्यता प्राप्त स्कूल कॉलेजों का आई कार्ड। इसके साथ ही रिजर्वेशन स्लिप के साथ आपको एक सेल्फ अटेस्टेड आइडेंटिटी कार्ड की फोटो कॉपी भी विंडो पर देनी होगी। 

-ऑनलाइन तत्काल टिकट बुक कराने के लिए भी आपको अपने पहचान पत्र की डिटेल देनी होंगी। इसकी डिटेल आपके टिकट पर भी आएंगी और प्लैटफॉर्म और बोगी पर लगने वाले चार्ट पर भी। आपको यह पहचान पत्र लेकर यात्रा करनी होगी। 

-तत्काल के तहत सिर्फ चार लोगों का रिजर्वेशन एक पीएनआर नंबर पर हो सकता है। 

-तत्काल टिकटों की वापसी पर रिफंड नहीं मिलता। 

-लेकिन कुछ स्थितियों में फुल रिफंड की व्यवस्था भी है। ये हैं : 
1- ट्रेन जहां से खुलती है, अगर वहां से तीन घंटे से ज्यादा लेट हो। 
2- ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और पैसेंजर उसमें यात्रा करना नहीं चाहता। 
3- अगर ट्रेन रूट बदलकर चल रही हो और बोर्डिंग और पैसेंजर के डेस्टिनेशन स्टेशन उस रूट पर नहीं आ रहे हों। 
4- अगर रेलवे पैसेंजर को उसके रिजर्वेशन वाली क्लास में यात्रा करा पाने में असमर्थ हो। 
5- अगर रिजर्व ग्रेड से लोअर कैटिगरी में सीटें रेलवे उपलब्ध करा रहा हो लेकिन पैसेंजर उस क्लास में यात्रा करना नहीं चाहता। अगर पैसेंजर लोअर क्लास में सफर कर भी लेता है तो रेलवे को उस पैसेंजर को किराए और तत्काल चार्ज के अंतर के बराबर रकम लौटानी होगी। 

जर्नी के टिप्स 

-फर्स्ट क्लास एसी या सामान्य फर्स्ट क्लास में आप बुक कराकर अपने डॉगी को ले जा सकते हैं। 

-फर्स्ट क्लास के अलावा किसी भी क्लास में डॉगी ले जाना मना है, लेकिन आप उसे डॉग बॉक्स में बुक करा सकते हैं। डॉग बॉक्स ब्रेक वैन में होते हैं। 

-डॉगी की बुकिंग पार्सल ऑफिस से करानी पड़ती है। 

विदाउट टिकट होने पर 

प्लैटफॉर्म पर : आपको कम से कम 250 रुपये की पेनल्टी के साथ उस स्टेशन पर जो गाड़ी लास्ट में आई हो, उसका किराया देना होगा। किराये का निर्धारण चेकिंग पॉइंट्स से होता है। जैसे अगर आप फरीदाबाद में प्लैटफॉर्म पर पकड़े जाते हैं और उस स्टेशन पर लास्ट ट्रेन नई दिल्ली से आई हो तो नई दिल्ली से फरीदाबाद का किराया और 250 रुपये फाइन देना होगा। अगर ट्रेन आगरा-मथुरा के रास्ते आई हो तो आपको आगरा तक का किराया और 250 रुपये फाइन देना होगा। किराया जनरल बोगी का लिया जाता है। अगर किराये की रकम 250 रुपये से ज्यादा हो तो पेनल्टी भी उतनी ही हो जाती है। अगर आप पेनल्टी देने से मना करते हैं तो आपको आरपीएफ की हवालात में भी भेजा जा सकता है और फिर मैजिस्ट्रेट आपसे एक हजार रुपये फाइन वसूलेगा। 

रनिंग ट्रेन में : ट्रेन में विदाउट टिकट पकड़े जाने पर 250 रुपये फाइन और जहां पकड़े गए हों ट्रेन के डिपार्चर पॉइंट से वहां तक का किराया देना होगा। अगर आप वहां से आगे की यात्रा करना चाहते हैं तो फाइन और आपकी मंजिल का किराया लेकर आपका टिकट बना दिया जाएगा। इसके बावजूद आपको रिजर्वेशन वाली बोगी में यात्रा करने का हक नहीं मिलता। 

ई टिकट : अगर आपने ई टिकट लिया है और ट्रेन में जाने के बाद आपको पता लगा कि टिकट खो गया है और आपके पास उसे लैपटॉप या आईपैड या मोबाइल पर दिखाने का ऑप्शन भी नहीं है तो आप टीटीई को 50 रुपये पेनल्टी देकर टिकट हासिल कर सकते हैं। 

चार्ट का फंडा 

ट्रेन का चार्ट आमतौर पर डिपार्चर टाइम से 4 घंटे पहले तैयार हो जाता है लेकिन यदि ट्रेन दोपहर 12 बजे से पहले की है तो उसका चार्ट रात में ही तैयार कर लिया जाता है। 

रेलवे से जुड़ी हेल्पलाइन 

रेल यात्रा के दौरान आपसे तय कीमत से ज्यादा पैसे वसूले जाएं, आप क्वॉलिटी से संतुष्ट न हों या फिर मात्रा पूरी न हो तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं। कुछ नंबरों पर आप किसी भी दिन और किसी भी समय शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ऑग्मेंटेड रिऐलिटी के जरिए आप इन हेल्पलाइन नंबरों को जान सकते हैं। ऑग्मेंटेड रिऐलिटी का यह अनुभव और यह अंक आपको कैसा लगा? बताने के लिए हमें मेल करें sundaynbt@gmail.com पर। सब्जेक्ट में लिखें SU-JZ 

सोमवार, 11 जून 2012

वकील और दादी माँ


वकीलों को दादी माँ से ऐसे प्रश्न करने ही नहीं चाहिए थे जिनके उत्तर वे सुन न सकें। एक छोटे शहर की अदालत में अभियोजन पक्ष के वकील ने अपने पहले गवाह के रूप में एक बुजुर्ग दादी माँ को कटघरे में बुलाया।

उनके पास जाकर वकील ने उनसे पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप मुझे जानती हैं? “

दादी ने उत्तर दिया - “हां-हां क्यों नहीं मि. विलियम्स! मैं तुम्हें तब से जानती हूं जब तुम जवान थे। और यदि मैं साफ-साफ कहूं तो तुमने मुझे बहुत निराश किया है। तुम झूठे हो, तुमने अपनी पत्नी को धोखा दिया है, तुम लोगों से झूठ बोलकर उन्हें फुसलाते हो और पीठ पीछे उनकी बुराई करते हो। तुम अपने आप को तीसमार खां समझते हो जबकि तुम्हारे पास इतनी भी अक्ल नहीं है कि अपने आप को समझ सको। हां मैं तुम्हें जानती हूं मि. विलियम्स! “

वकील भौचक्का रह गया! जब उसे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करे, उसने बचाव पक्ष के वकील की ओर इशारा करते हुए पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप बचाव पक्ष के वकील को जानती हैं? “

दादी ने फिर उत्तर दिया - “क्यों नहीं, जरूर जानती हूं! मैं मि. ब्रैडले को उनकी जवानी के समय से जानती हू। वे आलसी, कट्टर और शराबी हैं। वे किसी से भी सामान्य संबंध नहीं रख सकते और उनकी वकालत पूरे राज्य में सबसे खराब है। यह कहने की बात नहीं है कि उन्होंने अपनी पत्नी को धोखा दिया है और उसके तीन महिलाओं के साथ संबंध रहे हैं जिसमें से एक तुम्हारी पत्नी है। हां मैं उसे जानती हूं! “

बचाव पक्ष का वकील सन्न रह गया।

यह सुनकर जज महोदय ने दोनों वकीलों को अपने नजदीक बुलाया और धीरे से कहा - “खबरदार जो तुम लोगों ने उस महिला से मेरे बारे में पूछा। मैं तुम दोनों को हवालात भेज दूंगा। “

आइए, ऑनलाइन हो जाएं...


पूरी दुनिया ऑनलाइन होने की ओर भाग रही है. बची खुची कसर मेरे मोहल्ले के धोबी और नाई ने अभी हाल ही में पूरी कर दी. कल मैं प्रेस के लिए कपड़े डालने गया तो पाया कि उस दुकान का नया नामकरण हो गया है - सबसे-सफेद-धुलाई-डॉट-कॉम. बात दुकान के नए नामकरण की होती तो फिर भी ठीक था. काउंटर पर जहाँ अपने रामू काका कपड़े देते लेते थे और जिस होशियारी से हजारों की संख्या में एक जैसे कपड़ों में से प्रत्येक ग्राहक को उसके सही कपड़े निकाल देते थे, वहाँ एक अदद कंप्यूटर कब्जा जमाया बैठा था और सामने बैठा था एक ऑपरेटर.

मैंने उस ऑपरेटर से अपने कपड़े के बारे में पूछा. तो उसने मुझे ज्ञान दिया कि अब दुकान फुल्ली ऑनलाइन हो गई है और अब आप घर बैठे अपने कंप्यूटर से अपन कपड़े की वर्तमान स्थिति के बारे में पता कर सकते हैं कि वो धुल चुकी है, इस्तरी के लिए गई है या फिर अभी धोबी-घाट में पटखनी खा रही है. तो मैंने उससे पूछा कि भइए, जरा अपने कंप्यूटर में देख कर मेरे कपड़े की वर्तमान पोजीशन बताओ जो मैंने इस्तरी के लिए पिछले दिन दिए थे. वह पलट कर बोला घंटे भर बाद आना, अभी तो सर्वर डाउन है.

मोहल्ले के नाई की स्थिति भी कोई जुदा नहीं थी. जब सिर के चंद बचे खुचे बाल भी जब बीवी को लंबे लगने लगे और उन्होंने कई कई मर्तबा टोक दिया तो लगा कि अब तो कोई चारा बचा नहीं है तो नाई की दुकान की ओर रूख किया गया. महीने भर से नाई की दुकान की ओर झांका नहीं था और जब आज पहुंचा तो वहाँ मामला कायापलट सा था.

एक बड़े मॉनीटर के सामने बिल्लू बारबर व्यस्त था. वो मेरे मोहल्ले के ही एक मजनूँ टाइप बेरोजगार को स्क्रीन पर विभिन्न हेयरस्टाइल उसके चेहरे के चित्र पर जमा-जमा कर बता रहा था कि कैसे वो इस कंप्यूटर में डले इस लेटेस्ट सॉफ़्टवेयर के जरिए उसका लेटेस्ट टाइप का हेयरस्टाइल बना देगा जिससे वो मजनूँ मोहल्ले में और ज्यादा लेटेस्ट हो जाएगा. मजनूँ बड़ी ही दिलचस्पी से हर हेयरस्टाइल को दाँतों तले उंगली दबाए हुए देख रहा था और कल्पना कर रहा था कि यदि वो ये वाला नया हेयरस्टाइल अपना लेता है तो प्रतिमा और फातिमा और एंजलीना पर उसके इस नए रूप का क्या प्रभाव पड़ेगा.
बहरहाल, मुझे अपने बाल कटवाने थे. तो मैंने बिल्लू चाचा की ओर प्रश्नवाचक नजरों से देखा. इससे पहले बिल्लू काका मुझे देखते ही कुर्सी पेश करते थे और यदि व्यस्त रहते थे तो बोल देते थे कि घंटे आधे घंटे में वापस आ जाइए, तब तक वो लाइन में पहले से लगे ग्राहकों को निपटा लेगा. परंतु अभी बिल्लू काका का हिसाब बदला हुआ था. उन्होंने गर्व से बताया कि उनकी शॉप अब ऑनलाइन हो गई है. बाल कटवाने, दाढ़ी बनवाने, बाल रंगवाने और यहाँ तक कि चंपी करवाने के लिए भी पहले ऑनलाइन बुकिंग करनी पड़ेगी, समय लेना होगा तब बात बनेगी. यदि मैं आपको अपना पुराना ग्राहक मान कर बाल काटने लगूं, और इतने में कोई ऑनलाइन बुकिंग इस समय की हो जाए और कोई ऑनलाइन बुकिंग धारी ग्राहक आ जाए तब तो मेरी बहुत भद पिटेगी. मैं ऐसा नहीं कर सकता. मामला ऑनलाइन का है.

मैंने विरोध किया कि काका, मेरे पास न तो कंप्यूटर है न मुझे कंप्यूटर चलाना आता है. मैं ऐसा कैसे करूंगा. बिल्लू काका को खूब पता था कि मैं झूठ बोल रहा हूँ. मगर फिर भी उन्होंने इस बात को गंभीरता से लिया और बात स्पष्ट किया - अब इस दुकान की सेवा लेनी होगी तो पहले ऑनलाइन बुकिंग तो करवानी ही होगी. यदि आपके पास कंप्यूटर नहीं है तो क्या हुआ. पास ही सुविधा केंद्र है, साइबर कैफे है, वहाँ जाइए और वहाँ से बुकिंग करिए.

तो मैंने सोचा कि चलो पास के साइबर कैफ़े से बिल्लू काका के सेलून में बाल काटने की बुकिंग कर लेते हैं. क्योंकि यदि आज बगैर बाल कटवाए वापस गए तो घर पर खैर नहीं. और, बीबी को यह बात बताएंगे कि अब ऑनलाइन बुक कर बाल कटवाने होंगे, जिसमें समय लगेगा तो वो किसी सूरत ये बात मानेगी ही नहीं और ऊपर से निश्चित ही अपना तकिया कलाम कहने से नहीं चूकेगी - क्या बेवकूफ बनाने के लिए मैं ही मिली थी!
साइबर कैफ़े में लंबी लाइन लगी थी. मैं भी कोई चारा न देख लाइन में लग गया. बड़ी देर बाद मेरा नंबर आया तो मैंने कैफ़े वाले से कहा कि वो बिल्लू बारबर के यहाँ बाल कटवाने की मेरी बुकिंग कर दे. उसने ढाई सौ रुपए मांगे. मैं यूं चिंहुका जैसे कि मेरे बाल विहीन सर पर ओले का कोई बड़ा टुकड़ा गिर गया हो. ढाई सौ रूपए? मैं चिल्लाया, और पूछा कि इतने पैसे किस बात के?
साइबर कैफ़े वाले ने मुझे अजीब तरह से घूरते हुए बताया कि पचास रुपए तो बिल्लू बारबर के यहाँ बाल कटवाने का दर है. बाकी दो सौ रुपए साइबर कैफ़े की आधिकारिक सुविधा शुल्क है.
मैं भुनभुनाने लगा और बोला कि यह तो सरासर लूट है. तो साइबर कैफ़े वाले ने कहा कि यदि बुक करवाना है तो जल्दी बोलो नहीं तो आगे बढ़ो. फालतू टाइम क्यों खराब करते हो. वैसे भी सुबह से बंद पड़ा सर्वर अभी चालू हुआ है और अटक फटक कर चल रहा है. मेरे पीछे लंबी लाइन में और भी दर्जनों लोग खड़े थे और वे जल्दी करो जल्दी करो का हल्ला मचा रहे थे. तमाम दुनिया ऑनलाइन हुई जा रही थी तो ये बवाल तो खैर मचना ही था.
सुबह का निकला शाम को जब बाल कटवा कर वापस घर लौट रहा था तो पड़ोस में रहने वाला एक छात्र बेहद खुश खुश आता दिखाई दिया. वो पढ़ने लिखने में बेहद फिसड्डी था और मैट्रिक में वो इस साल तीसरी कोशिश में पास हुआ था.
मैंने उससे पूछा कि भई क्या बात है बेहद खुश नजर आ रहे हो. तुम्हारा रिजल्ट निकले तो अरसा बीत गया मगर खुशी अभ भी उतनी ही है जैसे जश्न मनाने और लड्डू बांटने के दिन हैं...

अरे अंकल, आप भी क्या मजाक करते हैं. उसने मेरी बात काटी और आगे बोला - मुझे कॉलेज में एडमीशन लेना है और अब मुझे बढ़िया कॉलेज में अपने मनपसंद विषय में दाखिला मिल जाएगा.
मैंने कहा - वो कैसे? तुम्हारा तो थर्ड डिवीजन है.
तो क्या हुआ अंकल – वो खुशी से चिल्लाया - इस साल से कॉलेज मे एडमीशन ऑनलाइन हो गए हैं!
ओह, तो ये बात थी.
दुनिया ऑनलाइन हुए जा रही है. नर्सरी और केजी 1 के एडमीशन भी. सवाल ये है कि आप ऑनलाइन हुए या नहीं?

मुआवज़े का फार्म



एक उद्योगपति, एक व्यापारी, एक बैंक मैनेजर और एक सरकारी कर्मचारी गहरे दोस्त थे। एक दिन चारो अपनी-अपनी बिल्ली लेकर एक जगह इकट्ठे हुए और लगे उनकी ख़ूबियों का बखान करने।


फिर उद्योगपति ने अपनी बिल्ली को इशारा किया। वह दौड़ी और कुछ देर में मिठाई का डिब्बा लाकर मेज पर रख दिया।


व्यापारी के इशारे पर उसकी बिल्ली दूध से भरा गिलास ले आई और मेज पर रख दिया।


बैंक मैनेजर का इशारा पाकर उसकी बिल्ली एक प्लेट में केक सजाकर ले आयी और टेबल पर रख दिया।


बिल्लियों की इस भाग दौड़ के दौरान सरकारी कर्मचारी की बिल्ली एक कुरसी पर बैठी सोती रही। 


सरकारी कर्मचारी ने ज़रा ऊंची आवाज़ में कहा, “लंच टाइम।“ यह सुनते ही उसकी बिल्ली ने आंखें खोली, कान खड़े किए और टेबल पर रखी चीज़ों पर टूट पड़ी। सारा सामान चट कर जाने के बाद वह बाक़ी तीनों बिल्लियों के साथ लड़ने लगी। फिर घायल होने का दावा करते हुए मुआवज़े का फार्म भरा और Sick Leave लेकर घर चली गई।


बाबा का ढाबा



हमारे भारत देश में, फिर पनपे कई बाबा,
कृपा बरसाने के नाम पर, खोला ठगी का ढाबा।


खोला ठगी का ढाबा, बात समझ न आई,
आँखे सबकी दो, तीसरी कहाँ से आई ।


होनी है सो होकर रहेगी, चाहे खाओ लाख समोसे,
कर्म कर फल मिलेगा, क्यों किस्मत को को।


निर्मल है कि नोर्मल है, यह तो अब कौन जाने,
पर बाबा नहीं यह ठग है, हम भी अब यह माने ।


सब कुछ ठगी का जाल है, होता इनसे चमत्कार नहीं,
हमारी भावनाओ से ख, इनको ये अधिकार नहीं ।

धर्म आस्था के नाम पर, चलता करोडो का धंधा,
आओ इन्हें सबक सिखाए, कंधो से मिलाकर कन्धा।