शनिवार, 12 मई 2012

जब तूफान आये तब नींद लो


एक किसान का खेत समुद्र के तट पर था। उसने अन्य किसान को किराये पर लेने के लिए कई विज्ञापन दिये। लेकिन ज्यादातर लोग समुद्र तट पर स्थित खेत में काम करने के इच्छुक नहीं थे। समुद्र के किनारे भयंकर तूफान उठते रहते हैं जो जानमाल और फसलों को प्रायः नुक्सान पहुंचाते हैं। उस किसान ने कई लोगों का अपने सहायक के रूप में कार्य करने के लिए साक्षात्कार लिया परंतु सभी ने मना कर दिया।

अंत में एक ठिगने कद का दुबला-पतला अधेड़ व्यक्ति किसान के पास आया।

किसान ने उससे पूछा - "खेती-किसानी जानते हो?"

उस ठिगने आदमी ने उत्तर दिया - "मैं उस समय सो सकता हूं जब तूफान आ रहा हो।" यद्यपि वह उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं था किंतु उसके पास उसे रखने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वह ठिगना व्यक्ति सुबह से शाम तक खेत में काम में लगा रहता। किसान भी उसके काम से संतुष्ट था। एक रात समुद्र की ओर से तूफान की खौफनाक आवाजें आने लगीं। अपने बिस्तर से कूद कर किसान ने लालटेन संभाली और पड़ोस में स्थित उस व्यक्ति के आवास तक भांगता हुआ गया। उसने झटका देकर उस किसान को जगाया और कहा -"जल्दी उठो, तूफान आ रहा है। सभी चीजों को बांध लो ताकि तूफान उन्हें उड़ा न ले जाये।"

उस ठिगने आदमी ने करवट बदलते हुए कहा - "नहीं श्रीमान, मैंने आपसे पहले ही कहा था कि मैं उस समय सो सकता हूं जब तूफान आ रहा हो।"

उसके दोटूक उत्तर से किसान को बहुत गुस्सा आया। वह तत्काल उसे नौकरी से निकालना चाहता था लेकिन वह तूफान से बचाव के लिए बाहर भागा। उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि सूखी घास के ढेर तिरपाल से ढ़के हुए थे। सभी गायें अपने बाड़े और मुर्गियां अपने दरबे में थीं और दरवाजे बंद थे। शटर भी कसकर बंद था। हरचीज बंधी हुयी थी। कुछ भी उड़ नहीं सकता था।

किसान को तब जाकर उस आदमी की बात का अर्थ समझ में आया। वह भी अपने बिस्तर की ओर लोटा और आराम से सो गया।

जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होता है तब उसे कोई भय नहीं होता। सूत्र वाक्य यह है कि बुरी से बुरी स्थिति के लिए भी तैयार रहो।


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