शनिवार, 12 मई 2012

सावधान! ऊर्जा बचत के लिए ‘अर्थ आवर’ बन सकता है ‘डिज़ॉस्टर आवर .


ऊर्जा बचत के लिए ‘अर्थ आवर’ जैसी विचारधारा काग़ज़ी तौर पर तो बड़ी उम्दा दिखाई देती है, मगर यह किसी बड़े डिज़ॉस्टर को निमंत्रण देती भी प्रतीत होती है. ‘अर्थ आवर’ में पूरी पृथ्वी पर हर तरफ (स्थानीय समयानुसार)  रात 8.30 बजे से 9.30 बजे तक एक साथ बिजली बत्ती बंद रखने की बात कही जा रही है. और अगर सचमुच हम सभी एक साथ बिजली बन्द कर दें, तो यह हमारे लिए बन सकता है ‘डिज़ॉस्टर आवर’. आइए, देखें कि कैसै.

वैसे तो आमतौर पर तमाम भारतीय क्षेत्रों में बिजली की खासी किल्लत बनी रहती है और शेड्यूल्ड, नॉन-शेड्यूल्ड तथा अंडर-फ्रिक्वेंसी बिजली कटौती के फलस्वरूप रोज ब रोज कई कई घंटे बिजली बन्द रहती है. ऐसे में ‘अर्थ आवर’ की अवधारणा भारतीय क्षेत्रों के लिए तो काम की ख़ैर नहीं ही है. मगर, कल्पना करें कि जहाँ चौबीसों घंटे बिजली मिलती रहती है, वहाँ पर आप अचानक, एक साथ तमाम बिजली (के तमाम उपकरणों को) बन्द कर दें तो क्या होगा? ये तो एक हादसे को निमंत्रण देने जैसा है.

आपको उदाहरण देकर स्पष्ट करते हैं. कल्पना करें कि कोई मालगाड़ी टनों वजन लेकर अपनी अधिकतम रफ़्तार से दौड़ रही है. अचानक ही कोई दैत्याकार राक्षस मालगाड़ी के तमाम वजन को अपने विशाल पंजों में एक झटके में उठा लेता है. मालगाड़ी का इंजन जो टनों वजन को अपनी पूरी शक्ति से खींच रहा होता है उसके ऊपर अब कोई लोड नहीं होता. तो ऐसे में क्या होगा? मालगाड़ी की गति अनंत हो जाएगी और वो बेपटरी होकर दुर्घटना-ग्रस्त हो जाएगी. ऐसे ही अचानक खाली (जब आप वापस बिजली चालू करेंगे) चलती मालगाड़ी पर अचानक लोड दे दिया जाएगा तो क्या होगा? मालगाड़ी धड़ से रूक जाएगी.

यही हाल हमाले विद्युत संयंत्रों का होगा. विद्युत संयंत्र अपने अपने लोड शेयरिंग के हिसाब से सिंक्रोनाइजेशन में चलते हैं. ‘अर्थ आवर’ के शुरू होते ही उनका लोड अचानक ही खत्म कर दिया जाएगा तो वे अचानक ही सिंक्रोनाइजेशन से बाहर हो जाएंगे और या तो वे दुर्घटनाग्रसत् हो जाएंगे या सुरक्षा के लिहाज से वे स्वयंमेव बन्द हो जाएंगे. इसी तरह ‘अर्थ आवर’ की समाप्ति पर जब अचानक लोड बढ़ेगा तो फिर से एकबार यही स्थिति आएगी. और, एक बार कोई विद्युत संयंत्र सिंक्रोनाइज़ेशन से बाहर हो जाता है तो उसे वापस सिंक्रोनाइजेशन में लाने में समय, सावधानी और तैयारी लगती है. फिर, यहाँ पर तो लोड चहुँओर बन्द हो रहा है, ऐसे में यदा कदा टोटल ब्रेकडाउन की स्थिति भी आ सकती है. यानी – डिज़ॉस्टर को खुले आम आमंत्रण.

‘अर्थ आवर’ की अवधारणा अच्छी है, मगर इसमें व्यावहारिक परिवर्तन की दरकार है. 24 घंटों में क्षेत्रों की सहूलियत व प्रायोगिकता के हिसाब से बिजली बंद करने के समय को अलग-अलग किया जाना चाहिए ताकि इसके कारण विद्युत संयंत्रों व विद्युत वितरण कार्यप्रणाली में आने वाले झटकों को रोका जा सके.

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