नया रिश्ता
सुबह-सुबह दरवाज़े पर
सूरज की पहली किरण
संग आज ले आई
एक नया महमान
एक ताज़ी हवा का झोंका,
मुझे देख
वो कुछ मुस्कुराया
कुछ हिचकिचाया
फिर बना लिया मुझसे
एक रिश्ता नया,
रुख्सारों को सहलाकर
बालों को उलझाकर
वो फैल गया कमरे में,
धूल से ढकी
कुछ पुरानी तस्वीरों संग
खेला वो झोंका हवा का,
मेरी खुली डायरी को
पन्ने दर पन्ने पलटकर
बांचता रहा कुछ देर
मुझे कुछ जान समझकर
वो आगे बढ़ा,
कानों में कुछ फुसफुसाया
और कहा
कल फिर मिलने आउंगा
जब तुम अपने जज्बातों को
डायरी में बंद करके
खुदको तनहा करके
नींद में होगी
तब चुपके से
तुम्हारी खिड़की से आकर
हौले से तुम्हें जगाउंगा..
( Dinesh.... )
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